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भगवान ऋषभदेव जी-3 कल्याणक, भगवान श्री अजितनाथ जी-4 कल्याणक, भगवान श्री अभिनन्दन स्वामी जी-4 कल्याणक, भगवान श्री सुमतिनाथ जी-4 कल्याणक, भगवान श्री अनंतनाथ जी-4 कल्याणक में पूजा-पाठ किया।


हनुमानगढ़ी, रामजन्मभूमि के भी दर्शन किये। शाम को पांच बजे गोंडा की बस पकड़ी6:30 बजे गोंडा से बलरामपुर के लिए बस पकड़ी व आठ बजे बलरामपुर पहुंचा जहां से 9:15 बजे जीप द्वारा रवाना होकर 10 बजे श्रावस्ती जी पहुंचा। रात्रि विश्राम मंदिर स्थित धर्मशाला में ही किया।


16/7/1993 की प्रातः श्री श्रावस्ती जी में भगवान श्री संभवनाथ जी के मंदिर में पूजा-पाठ किया जहां भगवान के चार कल्याणक हैं। उसके बाद बौद्ध मंदिर का दर्शन किया। एक प्राचीन जैन मंदिर के अवशेष को देखने गया जो पुरातत्व विभाग के अधीन हैदुनिया में अपने प्रकार का दूसरा घंटाजिसका वनज 45 टन है, देखा व बजाया। वहां से 11:00 बजे प्रस्थान कर बस द्वारा बहराइच आया। बहराइच से कार द्वारा लखनऊ आया। लखनऊ से कार द्वारा रात के 9:00 बजे कानुर पहुंचारात्रि विश्राम श्री हजारीमल जी बांठिया बाबासा के यहां किया।


17/7/1993 को कानपुर से प्रातः 6:45 बजे रवाना होकर रेल द्वारा 10:45 बजे कायमगंज पहुंचा जहां से टेम्पो में श्री कम्पिल जी तीर्थ पहुंचा। स्नान कर के भगवान विमलनाथ जी के 4 कल्याणक मंदिर में पूजा-पाठ कीवहां से दो बजे टेम्पो द्वारा रवाना होकर कायमगंज आया, जहां से बस द्वारा आगरा 8 बजे पहुंचा। 18/7/1993 को आगरा से 6:00 बजे शौरीपुर बस द्वारा वाया बाह वटेश्वर गया वहां भगवान श्री नेमिनाथ जी-2 कल्याणक के मंदिर में पूजा-पाठ कर वापस कार द्वारा आगरा आकर रेल द्वारा दिल्ली शाम को 7:00 बजे पहुंचा। इस प्रकार उत्तर प्रदेश के कल्याणक तीर्थों की यात्रा सम्पूर्ण हुई।


-ललित कुमार नाहटा