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सम्पादकीय-१


जिन मन्दिर में सौर ऊर्जा का उपयोग


जैन धर्म एवं उसके आचरण का केन्द्र बिन्दु अहिंसा है। अपना कोई भी क्रिया या कार्य अकारण हिंसा का हेतु नहीं बने, इस ओर निरन्तर सजग एवं सचेष्ट रहना प्रत्येक जैन धर्मानुयायी का प्रमुख कर्तव्य है। इसी दृष्टिकोण के कारण जैन मन्दिर में बिजली उपयोग करने का विरोध किया जाता है। कोयले से निर्मित ताप विद्युत अथवा जल से निर्मित जल विद्युत के निर्माण में भयंकर जीव हिंसा होती है। इसी कारण विद्युत के उपयोग को जिन मन्दिरों में त्याज्य माना गया हैइसलिये ऐसी अकारण एवं अनावश्यक हिंसा का कारण होने के दृष्टिकोण से जिन मन्दिरों में विद्युत के उपयोग का विरोध तथा निषेध किया गया है, जो सैद्धान्तिक एवं तार्किक स्तर पर सही है। जिन मन्दिरों एवं विशेष रूप से इसके गर्भगृह में दीपक प्रज्वलन की अनुमति है। दीपक के कारण भी हिंसा होती है, परन्तु यह जल विद्युत अथवा ताप विद्युत की तुलना में अपेक्षाकृत बहुत कम है। वर्तमान में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन प्रारम्भ हो रहा है एवं धीरे-धीरे इसके उपयोग में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। सौर ऊर्जा निर्माण में सूर्य की ऊर्जा को एकत्रित कर उसे विद्युत शक्ति में परिवर्तित किया जाता है। सौर ऊर्जा के निर्माण में जीव हिंसा नहीं है व अगर है भी तो दीपक की हिंसा से अपेक्षाकृत बहुत कम होती है। अत: सौर ऊर्जा के जिन मन्दिरों में उपयोग पर पूर्वाग्रह-मुक्त होकर स्वस्थ एवं सारगर्भित मनन-चिंतन एवं व्यापक चर्चा होकर निर्णय होना चाहिये।


अतः मेरा परम श्रद्धेय गुरु भगवंतों तथा समाज के बुद्धिजीवी, अग्रणी, श्रेष्ठिजनों से आग्रह है कि इस समयोचित विषय पर पूर्वाग्रह मुक्त होकर स्वस्थ चिंतन एवं विचार-विमर्श कर जिन मन्दिरों उपयोग पर विवेक युक्त निर्णय लेवें तथा समाज को आवश्यक मार्गदर्शन देखें।


सम्पादकीय-२


डाक-टिकट संग्रहः रुचियों का राजा


Stamp Collection : King of Hobbies


डाक-टिकट संग्रह एक ऐसा शौक है, जिसे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व साधारण व्यक्ति से लेकर धनाढ्य व्यक्ति तक इसमें रुचि रखता है। इस रुचि से ज्ञान का वर्धन होता है, समय का सदुपयोग होता है से मुक्ति मिलती है। ब्रिटेन के शाही परिवार का संग्रह विश्व के बेहतरीन संग्रह में है।


किसी भी विषय पर जारी डाक-टिकट एक संदेश लिये होता है, जिसका व्यापक विस्तार होता है। अर्थात पूरी दुनिया उस डाक-टिकट के माध्यम से विषय विशेष की जानकारी प्राप्त कर लेती है। 


डाक-टिकट संग्रह का क्षेत्र बड़ा व्यापक है। आप सभी देशों का या देश विशेष का पूर्ण संग्रह कर सकते हैं। यह संग्रह भिन्न-भिन्न विषय पर भी हो सकता है। विषय भी 10-20 नहीं वरन सैकड़ो में हैं । उदाहरण के रूप में- पक्षी, फूल, पशु, पेंटिंग, बच्चे, खेल, संगीत, पर्यावरण, वायुयान, पानी के जहाज, रेल, सड़क यातायात संग्रहालय, नत्य, हैंडीक्राफ्ट, स्वतंत्रता सेनानी, सैनिक, सिनेमा, विज्ञान, प्रदर्शनी, ओलम्पिक, संत मंदिर, धार्मिक स्थान, धर्म, शाही परिवार, व्यापार, उद्योग, अध्ययन, पुस्तकालय, प्रकृति, संस्कृति, सिक्के, हथियार, पगड़ी, पंखे, व्यंजन, विश्व प्रसिद्ध व्यक्तित्व, अहिंसा, शाकाहार, मैप, विश्व-शांति आदि-आदि।


एक ही टिकट में अनेक विषय समाये होते हैं। जैसे कि भारत सरकार के डाक विभाग ने 28 फरवरी, 2009 को श्री हरखचन्द नाहटा पर एक डाक-टिकट जारी किया, जिसमें विभिन्न विषय समाये हुए हैं। जैसे भारत के व्यापारी, भारत के उद्योगपति, राजस्थान की विभूति, बीकानेर के गौरव, प्रकाशक, लेखक, वक्ता, धार्मिक व्यक्तित्व, समाजसेवी, कार्यकर्ता, नेतृत्व प्रदान करने वाला, तीर्थयात्री, पर्यटक, जैन विभूति, सड़क परिवहन, फिल्म, बर्फ से ढके पहाड़, इन्द्रधनुष, आदिवासी, मंदिर, पुरातत्व, सिक्के, पक्षी, बच्चा आदि। ऐसे विषय के डाक-टिकट संग्रहकर्ता भी हैं।


अनेक बार एक विषय या व्यक्ति पर दुनिया के अधिकतर देश डाक टिकट जारी करते हैं । डाक-टिकट संग्रहकर्ता कोई भी एक विषय चुन कर विश्व भर के देशों से जारी उस विषय के डाक-टिकट संग्रह करता है। जैसे कि ओलम्पिक, महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला, पर्यावरण, पशु-पक्षी आदि। 


प्रत्येक व्यक्ति को इसमें रुचि रखनी चाहिए और विशेष रूप से बच्चों में इस शौक को बढ़ावा देना चाहिए। इससे बच्चों को विभिन्न विषयों के लिए खेल-खेल में अच्छी जानकारी मिल जायेगी. समय का सदुपयोग होगा व जेब खर्च का अच्छा खासा भाग डाक-टिकट में लगने से एक समृद्धिशाली संग्रह इकट्ठा हो जायेगा, जो कि अप्रत्यक्ष रूप में एक अच्छी-खासी बचत है।